चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाय चंद्रचूड़ क्यों लोकप्रिय हो रहे हैं? आइए जानते है।

बात करेंगे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की। देश के कई महत्वपूर्ण मामलों में उन्होंने निष्पक्ष फैसले लिए हैं जिनसे वह लोकप्रिय जज के तौर पर उभरे हैं और उनकी छवि निष्पक्ष और बेदाग है।

हम खुशनसीब है के हमको ऐसे सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस मिले हैं। आईए जानते हैं चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ के बारे में।

CJI चंद्रचूड़ का जन्म मुंबई में 1959 में हुआ था। उनके पिता का नाम यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ था वह भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं। CJI चंद्रचुड ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अपने शिक्षा प्राप्त की है। CJI चंद्रचूड़ अभी भारत के 50 वे चीफ जस्टिस ऑफ सुप्रीम कोर्ट है। उनकी पहली पत्नी रश्मि की 2007 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी। बाद में उन्होंने वकील कल्पना दास से शादी कर ली। उनके दो बेटे और दो पालक बेटियाँ हैं। CJI चंद्रचूड़ नवंबर 2022 से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त किए गए थे और नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से रिटायर्ड होंगे । उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फेसलों का हिस्सा रहे हैं। जैसे की इलेक्टरल बॉन्ड स्कीम को गैरकानूनी ठहराना, अयोध्या राम मंदिर का फैसला, समलैंगिक विवाह, सबरीमाला केस और जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया जाना जैसे महत्वपूर्ण मामलों में निष्पक्ष फैसले लिए हैं। उन्होंने बैचलर ऑफ लॉ दिल्ली यूनिवर्सिटी से और मास्टर ऑफ लॉ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पूर्ण किया।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स करने के बाद उन्हें सुलीवन और क्रोमवेल जो न्यू यॉर्क बेस लॉ फर्म है उसमे काम मिला। उन्होंने इस अनुभव को “सरासर संयोग” बताया, क्योंकि उस समय बहुत कड़ी पदानुक्रम व्यवस्था थी, तथा भारतीयों और विकासशील देशों के लोगों को नौकरी पर रखने के खिलाफ प्रबल पूर्वाग्रह था।

भारत लौटने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में लॉ की प्रेक्टिस शुरू की। बॉम्बे हाईकोर्ट में उनको अधिक सॉलिसिटर जनरल का पद दिया गया। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बने जहा से आगे बढ़ कर अल्हाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्ति की गई। इस दौरान वह महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के निर्देशक भी रहे।

24 अप्रैल 2021 वह तारीख थी जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त किया गया। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा रहे हैं, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों से बना एक गठन है जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय और सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है। नवम्बर 2022को उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर की गई।

5 दिसंबर 2023 को वरिष्ठ एडवोकेट दुष्यंत दवे ने चंद्रचूड़ को एक खुला पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि वह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को विशेष पीठों में ले जाकर नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। 7 दिसंबर को आर्टिकल 14 द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की अगुवाई वाली पीठ को राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले आवंटित करने में अनियमितताएं हुई हैं। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि त्रिवेदी के बजाय चंद्रचूड़ को 2021 के त्रिपुरा दंगों पर उनकी रिपोर्टिंग के संबंध में पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के आवेदन से संबंधित मामले के लिए पीठ का नेतृत्व करना चाहिए था। जवाब में, चंद्रचूड़ ने 15 दिसंबर को कहा कि त्रिवेदी को मामले इसलिए दिए गए क्योंकि न्यायाधीश ए.एस. बोपन्ना बीमार थे। उन्होंने कहा: “आरोप लगाना और पत्र भेजना बहुत आसान है”

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इसलिए आज वे सर्वोच्च न्यायालय के अब तक के सबसे लोकप्रिय मुख्य न्यायाधीश माने जाते हैं।