ईश्वर क्या है? क्यों हम पूरी जिंदगी ईश्वरकों ढूंढते है फिर भी नहीं मिलते?

ईश्वर कभी किसी इंसान की गलतियों का हिसाब नही रखता, कभी कोई बापको देखा है उसके बच्चेकी गलतियों का हिसाब रखते हुए? उसका दिल बहुत बड़ा है, बाप हमेंशा अपने बच्चे को खुश देखना चाहता है, पाप यह नहीं है की इंसान ने कितनी गलतियां की, पाप यह है कि ईश्वर ने जीवन के दरमियान कितने खुशी के अवसर दिए वह भोगे क्यों नहीं, कभी कोई बाप अपने बच्चे की गलतियां याद नही रखता वह यही सोचता है के मेरा बच्चा खुश क्यों नही रहता। में क्या करू जिससे मेरा बच्चा खुश हो। ईश्वर यही है, ईश्वर मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, मठ में नही मिलेंगे क्योंकि वह सिर्फ इंसान की बनाई हुवी जगह है । ईश्वर ने इंसान बनाया और इंसान खुद ईश्वर का वास है। ईश्वर ने कभी धर्म नही बनाया न ही किसी शास्त्र में लिखा गया है, शास्त्र में सिर्फ अच्छी बातो का जिक्र किया गया है न की धर्म, जाति, वर्ण का। इंसानों ने धर्म इसलिए बनाया ताकि जिनको वह पसंद नहीं करते उनको वह दूसरे धर्म या नीचे वर्ग में रख सके और उन पर शासन कर सके।


धार्मिक स्थल पर जाने वाला इंसान शासक बनता हैं या गुलाम। धार्मिक स्थलो की बागड़ोर जिसके हाथ में होती है वह शासक और उसमे जाने वाले गुलाम बनते है।
हर धर्म अपनी संख्या बढ़ाना चाहता है। हर इंसान को गुलाम बनाना चाहता है और इंसान खुद गुलामी स्वीकार करता है। इसमें ईश्वर कहा है? जब श्री राम अयोध्या के शासक थे तो कोन से धर्म या जाति के लोग उनकी अयोध्या के नागरिक थे ? नही वो कोई धर्म नहीं पर अपने लोकप्रिय राजन को प्रेम करते थे। राम को खुद मंथरा की राजनीति का शिकार हो कर १४ साल का वनवास भोगना पड़ा था। ईसा मसीह को भी राजनीति का शिकार होते हुए क्रोस पर टांग दिया गया था। तो आप केसे अपने आप को राजनीति का शिकार होते हुए बचा पाएंगे ?


ईश्वर को बहुत ही कम लोग है जो समझ पाए है। ईश्वर क्या है? न ही वह कोई शक्ति है न ही कोई रूप। वह एक विचारधारा है और विचारधारा के भक्त नहीं होते फॉलोअर होते हैं। अनुयायी। भक्त मत बनिए ईश्वर के अनुयायी बनिए। ईश्वर कभी बुरा नही सिखाता इसलिए उसको फोलोव कीजिए दुनिया खुद ब खुद स्वर्ग हो जायेगी। धर्म सिर्फ फायदा उठाने का जरिया बन गया है, एक बस में मैं सफर कर रहा हूं मुझे प्यास लगी मैने बगल वाले से पानी मांगा उसने दे दिया मेरी प्यास बुझ गई। इसमें धर्म की जरूरत कहा रही? जिस बस में मैं सवार था यह बस एक जीवन है और हम मुसाफिर, साथ में बैठने वाला देखकर नही बैठता की आप हिन्दू है या मुसलमान, सिख है या ईसाई, वैसे ही हम पैदा होते है तो यह देखकर नही आते के किस धर्म के परिवार में जन्म ले रहा हु।

धार्मिक जगाए एसी है जैसे बच्चा बड़ा हो कर अपने बाप को बाहर निकाल दे और उसके मरने के बाद अपने घर पर कब्जा कर के उसे महल बनाए और उसी बाप की मूर्ति वह महल में स्थापित करे। उसमे कभी ईश्वर का वास नही हो सकता क्योंकि उस जगह से हम इंसानों ने अपने स्वार्थ के लिए ईश्वर को बाहर निकाल दिया है।
जीवनमे सबसे बड़ा पाप यह है कि अपने पिता को दुःख देना। यदि आप ईश्वर के दिए गए अवसर पर भी खुश नहीं होते तो ये ईश्वरको दुःख देने के समान है जो सबसे बड़ा पाप है।